नेपाल। भारत-नेपाल सीमा विवाद कम होने के बजाय दिनों-दिन गहराता ही जा रहा है। इन दिनों नेपाल अपने पडोसी देश भारत के साथ टकराव की मुद्रा में आ गया है। नेपाल लगातार ऐसी हरकतें (India nepal border dispute) कर रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक रिश्ते ख़त्म होने के कगार पर पहुँच गए हैं। पहले भारत के तीन क्षेत्र को अपना बताकर नेपाल के नक़्शे में शामिल करने के बाद, नेपाल एक और कानून बनाने जा रहा है, जिससे भारतीय लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। नेपाल भारत के लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा इलाके को अपना इलाका बताकर दावा कर रहा है। सामरिक तौर पर यह तीनों क्षेत्र काफी बड़ा महत्व रखते हैं। भारत द्वारा कड़ी आपत्ति जताने के बाद भी नेपाल के राष्ट्रपति ने इस नक़्शे को मंजूरी दे दी।
विवादित नक़्शे को जारी करने के लिए विधेयक लाने के बाद, भारत को परेशान करने के लिए नेपाल ने अब नया पैंतरा चला है। रिपोर्ट के मुताबिक़ जो भी भारतीय महिला नेपाल के नागरिक से शादी करके नेपाल पहुँचेगी, उसे नेपाल की नागरिकता के लिए 7 साल तक का इन्तजार करना होगा। इन 7 सालों में उस महिला को कोई भी राजनितिक अधिकार नहीं दिया जाएगा। सामाजिक पहचान के लिए विवाहित महिला को एक पहचान पत्र दे दिया जाएगा। इससे पहले नेपाल के नागरिक से विवाह करने के बाद ही नेपाल की नागरिकता मिल जाती थी। नेपाल के इस नए कानून से भारत – नेपाल के रिश्तों पर गहरा असर पड़ने की उम्मीद है।
India nepal border dispute
अब तक भारत और नेपाल के बीच रोटी-बेटी का रिश्ता स्थापित था। दोनों देश के नागरिकों को एक दूसरे देश में जाने के लिए किसी वीजा पासपोर्ट की जरुरत नहीं पड़ती थी। सीमावर्ती इलाकों में दोनों देशों के बीच वैवाहिक रिश्ते जोड़ना बेहद आम बात है। 1950 में भारत-नेपाल के बीच मैत्री संधि होने के बाद दोनों देशों के सम्बन्ध और भी प्रगाढ़ हुए थे। इस संधि के तहत दोनों देश के नागरिक को दोनों ही देशों में बसने ज़मीन खरीदने की छूट मिली हुई है। परन्तु नेपाल में नया कानून लागू होने के बाद भारतीय महिला को नेपाल की नागरिकता पाने के लिए 7 साल का इन्तजार करने के अलावा अपनी पिछ्ली नागरिकता भी छोड़नी होगी।